मानवाधिकार संगठन NCHRO द्वारा गठित तथ्यान्वेषी दल की जांच रिपोर्ट बहराइच के खैराबाजार में यूपी
पुलिस को ज्यादतियां - मुसलमान समुदाय के 280 लोगों पर लगाया विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम ( UAPA ) । घटना दिनांक : 20-10-18 को दूर्गा मूर्ति विसर्जन की शोभा यात्रा के दौरान खैराबाजार बहराइच में साम्प्रदायिक झड़प और उसके बाद पुलिस द्वारा मुस्लिम समुदाय का बर्बर दमन तध्यान्वेषण की तिधिः 28-10-18 जांच दल के
1. एडवोकेट अमित श्रीवास्तव NCHRO के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष
2. एडवोकेट अन्सार इन्दौरी , NCHRO दिल्ली के महासचिव
3 . राजीव यादव , महासचिव , रिहाई मंच , यू . पी .
4 . बलजीत कौर , मानव अधिकार कार्यकर्ता , दिल्ली
5 . राजवीर कौर , भगत सिंह छात्र एकता मंच , दिल्ली 6 . कृपा शंकर , संपादक , विरुद्ध ( फासीवाद विरोधी मोर्चा , यू . पी
7 . रॉबिन वर्मा रिहाई मंच यू .पी
जांच दल ने हिन्दू व मुस्लिम दोनों समुदाय के लोगों से मुलाकात कर सच्चाई का पता लगाने का प्रयास किया । नवनियुक्त पुलिस अधीक्षक , बहराइच से भी जांच दल ने मुलाकात की और उन्हें घटना व उसके बाद की स्थितियों से अवगत कराते हुए मानव अधिकारों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने हेतु जरूरी कदम उठाने की अपील की । अंत में जांच दल ने बहराइच में प्रेस कान्फ्रेंस को संबोधित किया । घटना की पृष्ठभूमि व व्योरा खैराबाजार के लोगों ने बताया कि 4 वर्ष पहले बरावफात के समय यहां साम्प्रदायिक तनाव हुआ धा । उसके पहले कभी यहां साम्प्रदायिक माहौल खराब नहीं हुआ । पिछले 4 वर्षों से ही यहां दशहरा में जुलूस निकलना शुरू हुआ है । तभी से यह जगह अतिसंवेदनशील मानी जाती है ।
गाँव के एक सदस्य , अनिल गौर ने बताया कि पिछले साल प्रशासन का बंदोबस्त अच्छा था । शोभा यात्रा की वीडियो रिकार्डिंग की गयी थी और पर्याप्त संख्या में पुलिस बल लगाया गया था । छतों पर पुलिस वाले थे जिसके कारण शांति से सब निपट गया था । लेकिन इस साल सिर्फ 2 होमगार्ड , 2 सिपाही य एक दारोगा ही लगे थे जबकि 2000 से ज्यादा लोगों ने इस यात्रा में हिस्सा लिया । दोनों पक्षों ने बताया कि झगड़े की शुरूआत मस्जिद में रंग फेंकने से हुई । उसी के बाद दोनों पक्षों में झड़प हुई थी । उसके बाद बेरिया गांव के आशीष शुक्ला ने बौण्डी थाने में एक तहरीर दी जिसके आधार पर एफआईआर दर्ज की गयी और गिरफ्तारियां
करने के लिए मुस्लिम समुदाय पर पुलिस का बर्बर हमला शुरू हो गया । तहरीर में 80 मुसलमानों के नाम हैं और 100 - 200 को अज्ञात बताया गया है । एफआईआर में आईपीसी की 147 , 148 , 295ए , 296 , 323 , 506 धाराएं और यूएपीए की धारा 7 लगायी गयी है । रिपोर्ट के साथ एफआईआर की कॉपी संलग्न है । 28 अक्टूबर तक 22 मुस्लिम अभियुक्तों की गिरफ्तारी हो चुकी थी । जांच पड़ताल बवाल की शुरुआत के बारे में जांच टीम को गांव वालों ने बताया कि मूर्ति विसर्जन के लिए शोभा यात्रा बैरिया और दुसरे गाँवों से होते हुए खैरा बाजार के चौराहे से निकल कर बेदनापुर में सरजू नदी तक जाती है । यात्रा में करीब 2000 लोग और 15 ट्राली शामिल थीं
जब मूर्ति विसर्जन की यात्रा खैरा बाजार की मस्जिद के पास से गुज़री तो यात्रा के लोगों ने गुलाल और संग मस्जिद के ऊपर डाल दिया । इसका मुस्लिम समुदाय के लोगों ने विरोध किया जिससे झगड़ा होने लगा लेकिन किसी तरह मामला रफा दफा किया गया । परन्तु कुछ ही दूरी पर फिर से दोनों पक्षों के लोगों में पथराव होने लगा । मामला तब बहुत बिगड़ गया जब स्टेशन हाउस अफसर ( 50 ) के भी एक पत्थर लग गया । पुलिस ने मुस्लिम समाज के लोगों पर ज़बरदस्त कार्यवाही शुरू कर दी और हिन्दू दंगाई तत्वों ने ललकारा की " मारो साल को ' फिर मुस्लिमों पर हमला बोल दिया गया ।
ये लोग मस्जिद के ऊपर और उसके अंदर गुलाल और ग डालने लगे थे , इसी का कुछ मुसलमानों ने विरोध किया तो झड़प हो गयी । दोनों तरफ से थोड़ी - बहुत मारपीट भी हुई । पुलिसकर्मी मस्जिद से दूर खड़े थे जिन्हें पहले से मस्जिद के पास होना चाहिए था । उसके बाद पुलिस बल के समर्थन और साथ को पाकर शोभा यात्रा में शामिल हिंदुत्व फासिस्ट तत्वों ने बाजार के मुस्लिमों की सभी दुकानों को तोड़ दिया । यह बात गौर करने वाली है कि वहां के मुस्लिम गरीब व मजदूरी करने वाले हैं । दुकाने भी साइकिल बनाने , केरोसिन तेल बेचने , या आटा चक्की की ही थी । जब जांच दल रोड से भीतर गांव में घुसा तो पाया कि ज्यादातर घर खाली पड़े हैं । गांव को देखकर स्पष्ट समझ में आ रहा था
हमारे घर से अभी तक जेल में कोई मिलने नहीं गया । घर में 5 बच्चे और उसकी अम्मा हैं । एक और गाँव के सदस्य ने बताया कि रात में 15 - 20 सिपाही आये और दरवाजा तोड़कर घर में घुस गए । करीब 11 बजे रात में जवान लड़कियां व बहुएं डरी सहमी रहीं उन्हें गाली दी , उनके साथ कोई महिला पुलिस भी नहीं थी । उन्होंने आगे बताया कि पुलिस वाले छत पर सो रहे बेटों को निर्ममता से पीटते हुए ले गए और रातभर मारपीट के बाद सुबह मुझे बुलाया और धमकी देकर छोड़ दिये
अभी भी रोज अंधेरा होने पर दरवाजे को तेज धवका देते हैं , गाली और धमकी देते हैं । जांच टीम को जैतुन , नसीम सहित कई औरतों और लड़कियों ने बताया कि उभी भी पुलिसवाले अंधेरा होने पर आते हैं और डरा धमका कर पूछते हैं की घर के पुरुष कहाँ हैं
तुम लोग बता दो नहीं तो महिला पुलिस बुलाकर तुम लोगों को खूब पिटवाएँगे तब दिमाग ठिाने आएगा । डर के मारे औरतें और लड़कियां तथा बच्चे रिश्ते - नातों में भाग गए हैं । जांच दल के सदस्य मरियम नाम की एक बुजुर्ग महिला से मिले जिसने बताया की उनके पाँचों बेटे अपनी बीवी बच्चों के साथ गाँव छोड़ के भाग गए हैं । उन्हें इर था कि कहीं उनकी बहुओं के साथ भी दुर्व्यवहार न हो । उन्हें नहीं मालूम की उनके बेटों के नाम एफआईआर में हैं कि नहीं । पुलिस हर बार उनके घर में आ कर तोड़फोड़ कर रही है , उनके घर को जलाने की भी कोशिश की गयी । जांच दल को गांव वालों ने पूर्व प्रधान रशीद का घर दिखाया । पुलिस ने सबसे ज्यादा उन्हीं के धर को नुकसान पहुँचाया है । उनके घर के सभी दरवाजों को गैस के चूल्हे को बड़े - बड़े बक्स , खिड़कियों और उनमें लगे शों , घर के अंदर के हैंडपंप को तोड़ डाला और बरामदे में खड़े टेटर को भी क्षतिग्रस्त किया है । पूर्व प्रधान के 3 बेटों सद्दाम ,
शहजाद व खुर्शीद और स्वयं उन्हें अभियुक्त बनाया है । उनके घर के सभी महिला - पुरुष व ब कहीं भागे हुए हैं । प्रधान के तीनों बेटे गिरफ्तार हैं । गांव वालों ने बताया कि खैरा बाजार के अलावा चंगिया , तारापुर और सैनपुरा के मुसलमानों को भी गिरफ्तार किया गया है । ट । एक अत्यंत वृद्ध , बीमार , सिर्फ कंकाल के ढाँचे समान व्यक्ति से मिलीं , और उनकी पत्नी जो विकलांग थी पुलिस की ज्याद बताते - बताते रोने लगीं कि उनके एकमात्र कमाने वाले लड़के को पुलिस उठा ले गयी है । गांव के बच्चे और लड़कियों ने बताया कि पुलिसवाले उनसे उनके घर के पुर्षों का नाम पूछते हैं और उसे भी अभियुक्त बना । देते हैं । पूरा गांव डरा सहगा है ।
जब उमेश से यह पूछा गया कि 65 % मुस्लिम हैं तो आप से जीत गए तो उन्होंने कहा कि सभी हिन्दुओं का वोट मिला जबकि मुस्लिम समुदाय के कई प्रत्याशी थे जिससे उनका वोट बंट गया । वहां बहुत से हिन्दू समुदाय के लोग आ गए । जब अनिल गौर यह बता रहे थे कि प्रशासन की कमी से यह फसाद हुआ है तो । उसी समय सच्चिदानंद नामक एक व्यक्ति ने इसके उल्टे तेज़ आवाज़ में बताया कि मुस्लिगों ने हमले की तैयारी की हुई थी । उसने बताया कि उसकी उम्र 35 वर्ष है । तभी वहां खड़ी भीड़ में से एक नौजवान ने बल दिया कि ये पहले हिन्दू युवा वाहिनी के जिला उपाध्यक्ष थे । उसने बताया कि 2000 के आसपास लोग यात्रा में थे ।
मुस्लिमों ने मुझे जान से गारने का प्रयास किया । जय जांच दल ने पूछा कि कितने लोग आपको मार रहे थे तो उसने कहा की 5 लोग । नाम पूछने पर सिर्फ दो लोगों का नाम बता पाये और थोड़ी देर सोचकर वहां खड़े हिन्दू समुदाय के कुछ लोगों के बताने पर 3 नाम और बताये । जब हमने उससे पूछा कि आपने FIR की है तो तुरंत कहा हाँ । फिर कहा अभी मेडिकल रिपोर्ट का इंतजार कर रहा हैं । हमने कहा कि आपने तुरंत FIR क्यों नहीं कराई तो बोला कि मैंने जो एक FIR पहले हुई है उसी में उन पांचों का नाम लिखा दिया । सच्चिदानंद ने बताया कि 4 वर्ष पहले बराफ़ात के समय उसके यहाँ मंदिर के पास बलवा हुआ था । तब भी उसने FIR किया था परंतु सपा की सरकार के कारण मुस्लिमों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी । सच्चिदानंद की बातों से प्रतीत होता है कि इस बार भी दंगा भड़काने में उसकी कुछ न कुछ भूमिका हो सकती है
इराके बाद जांच टीम दो दिन पहले आये पुलिरा अधीक्षक डों गौरव ग्रोवर से बहराइच पुलिस लाइन में जाकर मिली । पुलिस अधीक्षक से जांच टीम ने खैराबाज़ार में मुस्लिमों पर पुलिस ज्यादती , बिना किसी आधार के UAPA की धारा लगाना , एकबार में 280 मुस्लिम लोगों को आरोपित करने , मुस्लिम समुदाय में दहशत का माहौल , और वहां उनकी गरीब पृष्ठभूमि के कारण मानवीय संकट पैदा होने की स्थिति को बताया । शुरू में अधीक्षक ने तर्क किया कि UAPA क्यों न लगे ? परन्तु जल्द ही टी । के इस तर्क रौ कि तहरीर और वहां घरी घटना से किसी भी रूप में UAPA नहीं बनता रौं निरुत्तर होकर कहा कि CLA एट की थारा 7 लगी होगी । वहाँ उपस्थित अन्य पुलिस अधिकारियों और इसकी जांच कर रहे C0 ने भी कहा कि आप लोगों को गलतफहमी हुई है । परंतु जब हमने FIR की कॉपी दिखाई तो एसपी बोले आम लोग जितने भी बिंद हैं डिटेल लिखकर दे दें , मैं जांच करवाकर उचित कार्रवाई करूंगा
जांच टीम के गांव में जाकर अमन चैन कायम करने की पहल लेने की सलाह पर एसपी ने स्वयं वहाँ जाकर इसके लिए प्रयास करने का आश्वासन दिया । जांच टीम ने तुरंत UAPA हटाने और पुलिस कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग अधीक्षक के सामने रखी । अंत में जांच टीम ने बहराइच में प्रेसवार्ता करके सभी स्थितियों से प्रेस को अवगत कराया और प्रेस से अपील किया कि आप लोग भी ठोस स्थिति को जनता और प्रशासन के संज्ञान में लाकर पुलिस प्रशासन पर दबाव बनाएं ताकि मुस्लिम समुदाय का दमन - उत्पीड़न बंद हों और उनपर लगाई गई JAPA की धारा सहित पूरे केरा को वापस लिया जाये ताकि मुस्लिम समुदाय का विशारा अर्जित करते हुए अमन चैन कायम करने की पृष्ठभुमि तैयार हो सके
पत्रकारों के पूछने पर जांच टीम ने कहा कि हम इसकी रिपोर्ट राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग , सहित अन्य मानव अधिकार संगठनों को भेजेंगे । यह एक बार में 280 लोगों पर UAPA की धारा लगाने की देश की पहली घटना है । UJAPA नहीं हटाये जाने पर हाई कोर्ट और सुर्णीम कोर्ट तक मामले को ले जाया जायेगा । जांच टीम के निष्कर्ष 1 - यह घटना पिछले 4 वर्षों रो केंद्र में फासीवादी पार्टी के सत्तानशीन होने से प्रशारान और समाज में मनुवादी विधान में विश्वास रखने वाले तत्वों के उन्मादपुर्ण उत्साह का ही नतीजा है । 2 - दुर्गा प्रतिमा विसर्जन की यात्रा 4 वर्षों से निकाली जा रही है ।
और 4 वर्ष पहले भी बरावफात के मौके पर तनाव हो चुका धा । अतिसंवेदनशील क्षेत्र होने के बावजूद सिर्फ 3 पुलिस और दो होमगार्ड को लगाया गया धा वे भी यात्रा के वक्त संकरे रोड के किनारे बने मस्जिद के पास खड़े नहीं थे । यह स्थिति इस तनाव को पैदा करने की साजिश की तरफ संकेत करती है । हिन्दु और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोगों ने कहा कि यह सवाल पुलिस प्रशासन की घोर लापरवाही का नतीजा है । 3 - घटना की शुरुआत मस्जिद में रंग व गुलाल फेंकने से हुई थी । जिसे पुलिस ने हिंदूवादी कट्टरपंथी तत्वों को सपोर्ट देकर मुस्लिमों की दुकानें व मस्जिद के गुम्बद तोड़ने तक बढ़ाया । और इसके बाद बैरिया गांव के आशीष शुक्ला , सच्चिदानंद , जगदीश जायसवाल व अन्य लोगों के साध मिलकर 80 नामजद व 200 अज्ञात मुसलमानों पर FIR दर्ज करवाई । शिकायतकर्ता के घटना का समय न लिखने के बावजूद पुलिस ने समय 00 : 00 दर्ज किया है और कहीं भी घटना की अवधि का जिक्र नहीं है ।
शिकायतकर्ता के तहरीर में जिन बातों का उल्लेख है उससे LJAPA तो कत्तई नहीं बनता फिर भी पुलिस ने लगाया है । और इसे सही साबित करने के लिए 2 दिन बाद " पाकिरतान के समर्थन में नारा लगाने का वीडियो वायरल कराया गया । शिकायतकर्ता का विरोधी पक्ष के कई गाँवों के 80 मुस्लिमों का नाम लिखाना संदेहजनक है जबकि वह 50 - 60 घायल हिन्दू समुदाय के लोगों का नाम नहीं बता पाता है और जांच टीम को हिन्दू युवा वाहिनी का पदाधिकारी रह चुका सच्चिदानंद 5 हमलावरों के नाम नहीं बता पाता हैं । और छोटी जगह पर 280 लोगों के घात लगाने की बात भी संदेह जनक है । उस रात से पुलिस का मुस्लिम समुदाय पर क्रुर हमला कर देना किसी सोची समझी साजिश की तरफ इशारा करता है
4 - खैराबाजार और चगिया , तारापुर व सैनपारा गांव में पूरी तरह मुस्लिम समुदाय दहशत के साये में है । जिनका FIR में नाम नहीं है वे भी भागे हुए हैं कि कहीं अज्ञात में उनका नाम न जुड़ जाये । 5 - गाँव के जवान , कमाने वाले लोगों के भागने के कारण पीछे से बुजुर्ग औरतें और बच्चे एक तरफ तो सहमे हुए हैं , अपने परिवार के लोगों के लिए चिंतित हैं और दूसरी और रोजाना की जिंदगी में तंग और असह्य हैं । 6 - गांव निर्धनतम लोगों का है जो मजदूरी , राजमिस्त्री , साइकिल का पेंचर बनाने , किरोसिन बेचने , ठेला - खोमचा लगाने का काम करते हैं । ऐसे में कमाने वाले पुरुषों के भागने से उनके रोज़ की थोड़ी सी आमदनी भी ख़तम हो गयी है । 7 - गांव के अंदर मुस्लिम समुदाय के लोगों के घरों में तोड़फोड़ पुलिस ने की है । पूर्व प्रधान रशीद का घर तो पुलिस ने लगभग नष्ट कर दिया है ।
इससे कुछ राजनीतिक कलह की साजिश का भी आशारा होता है । 8 - बिना महिला पुलिस के और रात के अंधेरे में पुलिस का पर्यों में प्रवेश संविधान में दर्ज मौलिक अधिकारों , सर्वोच्च अदालत व मानव अधिकार आयोग के निर्देशों का खुल्लम - खुल्ला उल्लंघन है । 9 गांव में छापे के दौरान घर में बचे लोग से नाम पूछकर पुलिस अभियुक्त बना रही है जो कि FIR में 200 ' अज्ञात व्यक्तिर्यो के शामिल होने के कारण है । 10 - पुलिस महिलाओं वृद्धों व बच्चों को रोज न्य रोज मारने पीटने की धमकी दे रही है । जांच टीम की मांगेः
1 . गलत तरीके से लगाया गया आंतकवाद का कानून JAPA तुरंत हटाया जाए
2 - इस जांच में उठे कई प्रत्यक्ष सवालों को मद्देनज़र रखते हुए इस घटना की संदेहजनक FIR को रद्द किया जाये । उसके आधार पर मुस्लिग समुदाय की धर - पकड़ बन्द की जाये और गिरफ्तार किये गये लोगों को रिहा जाये । UAPA की धारा को लगाने वाले पुलिस अधिकारी पर कार्यवाही की जाये ।
3 - घटना की निष्पक्ष जांच की जाये और हिंसा की शुरुआत करने वाले , मस्जिद में रंग फेंकने पाने वाले , मस्जिद का गुम्वाद तोड़ने वाले , गांव वालों की दुकानों को तोड़ने वालें को भी जांच की कार्यवाही का हिस्सा बनाया जाये
4 - इस मामले की जांच निष्पा कराने हेतु किसी सेवानिवृत जज , मानव अधिकार आयोग , कुछ माTनव अधिकार कार्यकर्ताओं की जांच टीम गठित करके करायी जाये
5 - मस्जिद के टूटे गुम्बद को प्रशासन ठीक कराए और लोगों की दुकानों और घरों की क्षति हेतु मुआवज़ा दिया जाये
6 - क्षेत्र में अमन चैन कायम करने के लिए हिन्दू मुस्लिम समुदाय के लोगों , क्षेत्र के नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं , पत्रकारों , वकील और प्रशासन को मिलाकर साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए सक्रिय कमेटियों का गठन किया जाय
मानव अधिकार की रिपोर्ट
पुलिस को ज्यादतियां - मुसलमान समुदाय के 280 लोगों पर लगाया विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम ( UAPA ) । घटना दिनांक : 20-10-18 को दूर्गा मूर्ति विसर्जन की शोभा यात्रा के दौरान खैराबाजार बहराइच में साम्प्रदायिक झड़प और उसके बाद पुलिस द्वारा मुस्लिम समुदाय का बर्बर दमन तध्यान्वेषण की तिधिः 28-10-18 जांच दल के
सदस्य
1. एडवोकेट अमित श्रीवास्तव NCHRO के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष
2. एडवोकेट अन्सार इन्दौरी , NCHRO दिल्ली के महासचिव
3 . राजीव यादव , महासचिव , रिहाई मंच , यू . पी .
4 . बलजीत कौर , मानव अधिकार कार्यकर्ता , दिल्ली
5 . राजवीर कौर , भगत सिंह छात्र एकता मंच , दिल्ली 6 . कृपा शंकर , संपादक , विरुद्ध ( फासीवाद विरोधी मोर्चा , यू . पी
7 . रॉबिन वर्मा रिहाई मंच यू .पी
जांच दल ने हिन्दू व मुस्लिम दोनों समुदाय के लोगों से मुलाकात कर सच्चाई का पता लगाने का प्रयास किया । नवनियुक्त पुलिस अधीक्षक , बहराइच से भी जांच दल ने मुलाकात की और उन्हें घटना व उसके बाद की स्थितियों से अवगत कराते हुए मानव अधिकारों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने हेतु जरूरी कदम उठाने की अपील की । अंत में जांच दल ने बहराइच में प्रेस कान्फ्रेंस को संबोधित किया । घटना की पृष्ठभूमि व व्योरा खैराबाजार के लोगों ने बताया कि 4 वर्ष पहले बरावफात के समय यहां साम्प्रदायिक तनाव हुआ धा । उसके पहले कभी यहां साम्प्रदायिक माहौल खराब नहीं हुआ । पिछले 4 वर्षों से ही यहां दशहरा में जुलूस निकलना शुरू हुआ है । तभी से यह जगह अतिसंवेदनशील मानी जाती है ।
गाँव के एक सदस्य , अनिल गौर ने बताया कि पिछले साल प्रशासन का बंदोबस्त अच्छा था । शोभा यात्रा की वीडियो रिकार्डिंग की गयी थी और पर्याप्त संख्या में पुलिस बल लगाया गया था । छतों पर पुलिस वाले थे जिसके कारण शांति से सब निपट गया था । लेकिन इस साल सिर्फ 2 होमगार्ड , 2 सिपाही य एक दारोगा ही लगे थे जबकि 2000 से ज्यादा लोगों ने इस यात्रा में हिस्सा लिया । दोनों पक्षों ने बताया कि झगड़े की शुरूआत मस्जिद में रंग फेंकने से हुई । उसी के बाद दोनों पक्षों में झड़प हुई थी । उसके बाद बेरिया गांव के आशीष शुक्ला ने बौण्डी थाने में एक तहरीर दी जिसके आधार पर एफआईआर दर्ज की गयी और गिरफ्तारियां
करने के लिए मुस्लिम समुदाय पर पुलिस का बर्बर हमला शुरू हो गया । तहरीर में 80 मुसलमानों के नाम हैं और 100 - 200 को अज्ञात बताया गया है । एफआईआर में आईपीसी की 147 , 148 , 295ए , 296 , 323 , 506 धाराएं और यूएपीए की धारा 7 लगायी गयी है । रिपोर्ट के साथ एफआईआर की कॉपी संलग्न है । 28 अक्टूबर तक 22 मुस्लिम अभियुक्तों की गिरफ्तारी हो चुकी थी । जांच पड़ताल बवाल की शुरुआत के बारे में जांच टीम को गांव वालों ने बताया कि मूर्ति विसर्जन के लिए शोभा यात्रा बैरिया और दुसरे गाँवों से होते हुए खैरा बाजार के चौराहे से निकल कर बेदनापुर में सरजू नदी तक जाती है । यात्रा में करीब 2000 लोग और 15 ट्राली शामिल थीं
जब मूर्ति विसर्जन की यात्रा खैरा बाजार की मस्जिद के पास से गुज़री तो यात्रा के लोगों ने गुलाल और संग मस्जिद के ऊपर डाल दिया । इसका मुस्लिम समुदाय के लोगों ने विरोध किया जिससे झगड़ा होने लगा लेकिन किसी तरह मामला रफा दफा किया गया । परन्तु कुछ ही दूरी पर फिर से दोनों पक्षों के लोगों में पथराव होने लगा । मामला तब बहुत बिगड़ गया जब स्टेशन हाउस अफसर ( 50 ) के भी एक पत्थर लग गया । पुलिस ने मुस्लिम समाज के लोगों पर ज़बरदस्त कार्यवाही शुरू कर दी और हिन्दू दंगाई तत्वों ने ललकारा की " मारो साल को ' फिर मुस्लिमों पर हमला बोल दिया गया ।
और पुलिस की मुस्लिम घरों में छापामारी , तोड़फोड़ , मारपीट - गालीगलौज , गिरफ्तारी 20 अक्टूबर की रात 11 बजे से शुरू हुई । जो 21 की रात से 27 की देर शाम तक जारी थी । जांच टीम ने देखा कि खैराबाज़ार रोड़ पर चंद हिन्दू समुदाय की दुकानों के अलावा सब बन्द था । और वहां पुलिस तैनात थी । जांच दल के लोग उस मस्जिद पर गए जहाँ विवाद हुआ था । जांच दल ने पाया कि मस्जिद की रोड की तरफ का एक छोटा । गुम्बद टूटा हुआ है और मस्जिद के गेट के भीतर फर्श पर रंग गिरा हुआ है । मुस्लिम समुदाय के लोगों का कहना है कि घटना के दिन यात्रा में करीब 2000 लोगों की भीड़ थी । कई लोग तलवार और हथियारों से लैस थे ।
ये लोग मस्जिद के ऊपर और उसके अंदर गुलाल और ग डालने लगे थे , इसी का कुछ मुसलमानों ने विरोध किया तो झड़प हो गयी । दोनों तरफ से थोड़ी - बहुत मारपीट भी हुई । पुलिसकर्मी मस्जिद से दूर खड़े थे जिन्हें पहले से मस्जिद के पास होना चाहिए था । उसके बाद पुलिस बल के समर्थन और साथ को पाकर शोभा यात्रा में शामिल हिंदुत्व फासिस्ट तत्वों ने बाजार के मुस्लिमों की सभी दुकानों को तोड़ दिया । यह बात गौर करने वाली है कि वहां के मुस्लिम गरीब व मजदूरी करने वाले हैं । दुकाने भी साइकिल बनाने , केरोसिन तेल बेचने , या आटा चक्की की ही थी । जब जांच दल रोड से भीतर गांव में घुसा तो पाया कि ज्यादातर घर खाली पड़े हैं । गांव को देखकर स्पष्ट समझ में आ रहा था
कि यह गांव एकदम निम्नवर्ग के लोगों का है । गांव में सिर्फ कुछ वृद्ध पुरुष महिलाएं और बच्चे थे । घटना के 8 दिन बाद भी । गांव के युवा और अधेड़ भागे हुए हैं । वहां औरत और बच्चों ने बताया कि 20 अक्टूबर की रात 11 बजे के आसपास भारी संख्या में पुलिस आयी जिसमें कोई महिला सिपाही नहीं थीं । उस पुलिस बल ने सभी मुस्लिम घरों पर हमला बोल दिया । दरवाजे तोड़ डाले या जबरदस्ती घरों में घुसे । घर में घुसकर महिलाओं लड़कियों को धमकाया । एक बूढ़े व्यक्ति नूर अली ने बताया कि पुलिस वालों ने उनकी पत्नी का पैर और हाथ तोड़ दिया । उनके लड़के शमशाद को भी उठा ले गए । एक महिला कोसर जहाँ ने बताया कि एक रात में पुलिस वाले आकर उसके दरवाजे पर तेज ठोकर मारने लगे और उनके भाई रियाज वल्द रमजान को उठा ले गए हैं । तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले अनीस ने बताया कि उसके पिता राजमिस्त्री हैं उनको पुलिस ले गयी है
हमारे घर से अभी तक जेल में कोई मिलने नहीं गया । घर में 5 बच्चे और उसकी अम्मा हैं । एक और गाँव के सदस्य ने बताया कि रात में 15 - 20 सिपाही आये और दरवाजा तोड़कर घर में घुस गए । करीब 11 बजे रात में जवान लड़कियां व बहुएं डरी सहमी रहीं उन्हें गाली दी , उनके साथ कोई महिला पुलिस भी नहीं थी । उन्होंने आगे बताया कि पुलिस वाले छत पर सो रहे बेटों को निर्ममता से पीटते हुए ले गए और रातभर मारपीट के बाद सुबह मुझे बुलाया और धमकी देकर छोड़ दिये
अभी भी रोज अंधेरा होने पर दरवाजे को तेज धवका देते हैं , गाली और धमकी देते हैं । जांच टीम को जैतुन , नसीम सहित कई औरतों और लड़कियों ने बताया कि उभी भी पुलिसवाले अंधेरा होने पर आते हैं और डरा धमका कर पूछते हैं की घर के पुरुष कहाँ हैं
तुम लोग बता दो नहीं तो महिला पुलिस बुलाकर तुम लोगों को खूब पिटवाएँगे तब दिमाग ठिाने आएगा । डर के मारे औरतें और लड़कियां तथा बच्चे रिश्ते - नातों में भाग गए हैं । जांच दल के सदस्य मरियम नाम की एक बुजुर्ग महिला से मिले जिसने बताया की उनके पाँचों बेटे अपनी बीवी बच्चों के साथ गाँव छोड़ के भाग गए हैं । उन्हें इर था कि कहीं उनकी बहुओं के साथ भी दुर्व्यवहार न हो । उन्हें नहीं मालूम की उनके बेटों के नाम एफआईआर में हैं कि नहीं । पुलिस हर बार उनके घर में आ कर तोड़फोड़ कर रही है , उनके घर को जलाने की भी कोशिश की गयी । जांच दल को गांव वालों ने पूर्व प्रधान रशीद का घर दिखाया । पुलिस ने सबसे ज्यादा उन्हीं के धर को नुकसान पहुँचाया है । उनके घर के सभी दरवाजों को गैस के चूल्हे को बड़े - बड़े बक्स , खिड़कियों और उनमें लगे शों , घर के अंदर के हैंडपंप को तोड़ डाला और बरामदे में खड़े टेटर को भी क्षतिग्रस्त किया है । पूर्व प्रधान के 3 बेटों सद्दाम ,
शहजाद व खुर्शीद और स्वयं उन्हें अभियुक्त बनाया है । उनके घर के सभी महिला - पुरुष व ब कहीं भागे हुए हैं । प्रधान के तीनों बेटे गिरफ्तार हैं । गांव वालों ने बताया कि खैरा बाजार के अलावा चंगिया , तारापुर और सैनपुरा के मुसलमानों को भी गिरफ्तार किया गया है । ट । एक अत्यंत वृद्ध , बीमार , सिर्फ कंकाल के ढाँचे समान व्यक्ति से मिलीं , और उनकी पत्नी जो विकलांग थी पुलिस की ज्याद बताते - बताते रोने लगीं कि उनके एकमात्र कमाने वाले लड़के को पुलिस उठा ले गयी है । गांव के बच्चे और लड़कियों ने बताया कि पुलिसवाले उनसे उनके घर के पुर्षों का नाम पूछते हैं और उसे भी अभियुक्त बना । देते हैं । पूरा गांव डरा सहगा है ।
लोगों ने बताया कि कगाने वाले पुरुषों की गिरफ्तारी या डर के मारे भागे रहने के कारण घरों में खाने तक का संकट आ गया है । बहुत से लोगों के पशु कहीं चले गए है या मर रहे हैं । जांच दल को गांव के बच्चों , औरतों व वृद्ध लोगों ने साफ साफ बताया कि रोड की उनकी दुकानों को यात्रा में शामिल कट्टरपंथी हिन्दुओं ने पुलिस की शह पर तोड़ा जबकि गांव के अंदर घरों में तोड़फोड़ पुलिस वालों ने की । पुलिस स्वयं दंगाई बन गयी थी । मुस्लिम लोगों की मानवीय व दर्दनाक स्थिति जानने के बाद जांच टीम खैराबाज़ार के प्रधान के घर गयी । प्रधान तो उगेश वर्मा की बहू सरिता वर्मा हैं । जबकि सभी लोग उमेश वर्मा को ही प्रधान कहते और समझते हैं । प्रधान - ससूर उमेश वर्मा ने बताया कि इस गांव में कुल 1200 परिवारों में से 800 से ज्यादा परिवार मुस्लिम समुदाय के है । जबकि हिन्दू 400 से कम हैं । उनके अनुसार प्रशासन की लापरवाही के कारण यह तनाव हुआ है ।
जब उमेश से यह पूछा गया कि 65 % मुस्लिम हैं तो आप से जीत गए तो उन्होंने कहा कि सभी हिन्दुओं का वोट मिला जबकि मुस्लिम समुदाय के कई प्रत्याशी थे जिससे उनका वोट बंट गया । वहां बहुत से हिन्दू समुदाय के लोग आ गए । जब अनिल गौर यह बता रहे थे कि प्रशासन की कमी से यह फसाद हुआ है तो । उसी समय सच्चिदानंद नामक एक व्यक्ति ने इसके उल्टे तेज़ आवाज़ में बताया कि मुस्लिगों ने हमले की तैयारी की हुई थी । उसने बताया कि उसकी उम्र 35 वर्ष है । तभी वहां खड़ी भीड़ में से एक नौजवान ने बल दिया कि ये पहले हिन्दू युवा वाहिनी के जिला उपाध्यक्ष थे । उसने बताया कि 2000 के आसपास लोग यात्रा में थे ।
मुस्लिमों ने मुझे जान से गारने का प्रयास किया । जय जांच दल ने पूछा कि कितने लोग आपको मार रहे थे तो उसने कहा की 5 लोग । नाम पूछने पर सिर्फ दो लोगों का नाम बता पाये और थोड़ी देर सोचकर वहां खड़े हिन्दू समुदाय के कुछ लोगों के बताने पर 3 नाम और बताये । जब हमने उससे पूछा कि आपने FIR की है तो तुरंत कहा हाँ । फिर कहा अभी मेडिकल रिपोर्ट का इंतजार कर रहा हैं । हमने कहा कि आपने तुरंत FIR क्यों नहीं कराई तो बोला कि मैंने जो एक FIR पहले हुई है उसी में उन पांचों का नाम लिखा दिया । सच्चिदानंद ने बताया कि 4 वर्ष पहले बराफ़ात के समय उसके यहाँ मंदिर के पास बलवा हुआ था । तब भी उसने FIR किया था परंतु सपा की सरकार के कारण मुस्लिमों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी । सच्चिदानंद की बातों से प्रतीत होता है कि इस बार भी दंगा भड़काने में उसकी कुछ न कुछ भूमिका हो सकती है
इराके बाद जांच टीम दो दिन पहले आये पुलिरा अधीक्षक डों गौरव ग्रोवर से बहराइच पुलिस लाइन में जाकर मिली । पुलिस अधीक्षक से जांच टीम ने खैराबाज़ार में मुस्लिमों पर पुलिस ज्यादती , बिना किसी आधार के UAPA की धारा लगाना , एकबार में 280 मुस्लिम लोगों को आरोपित करने , मुस्लिम समुदाय में दहशत का माहौल , और वहां उनकी गरीब पृष्ठभूमि के कारण मानवीय संकट पैदा होने की स्थिति को बताया । शुरू में अधीक्षक ने तर्क किया कि UAPA क्यों न लगे ? परन्तु जल्द ही टी । के इस तर्क रौ कि तहरीर और वहां घरी घटना से किसी भी रूप में UAPA नहीं बनता रौं निरुत्तर होकर कहा कि CLA एट की थारा 7 लगी होगी । वहाँ उपस्थित अन्य पुलिस अधिकारियों और इसकी जांच कर रहे C0 ने भी कहा कि आप लोगों को गलतफहमी हुई है । परंतु जब हमने FIR की कॉपी दिखाई तो एसपी बोले आम लोग जितने भी बिंद हैं डिटेल लिखकर दे दें , मैं जांच करवाकर उचित कार्रवाई करूंगा
जांच टीम के गांव में जाकर अमन चैन कायम करने की पहल लेने की सलाह पर एसपी ने स्वयं वहाँ जाकर इसके लिए प्रयास करने का आश्वासन दिया । जांच टीम ने तुरंत UAPA हटाने और पुलिस कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग अधीक्षक के सामने रखी । अंत में जांच टीम ने बहराइच में प्रेसवार्ता करके सभी स्थितियों से प्रेस को अवगत कराया और प्रेस से अपील किया कि आप लोग भी ठोस स्थिति को जनता और प्रशासन के संज्ञान में लाकर पुलिस प्रशासन पर दबाव बनाएं ताकि मुस्लिम समुदाय का दमन - उत्पीड़न बंद हों और उनपर लगाई गई JAPA की धारा सहित पूरे केरा को वापस लिया जाये ताकि मुस्लिम समुदाय का विशारा अर्जित करते हुए अमन चैन कायम करने की पृष्ठभुमि तैयार हो सके
पत्रकारों के पूछने पर जांच टीम ने कहा कि हम इसकी रिपोर्ट राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग , सहित अन्य मानव अधिकार संगठनों को भेजेंगे । यह एक बार में 280 लोगों पर UAPA की धारा लगाने की देश की पहली घटना है । UJAPA नहीं हटाये जाने पर हाई कोर्ट और सुर्णीम कोर्ट तक मामले को ले जाया जायेगा । जांच टीम के निष्कर्ष 1 - यह घटना पिछले 4 वर्षों रो केंद्र में फासीवादी पार्टी के सत्तानशीन होने से प्रशारान और समाज में मनुवादी विधान में विश्वास रखने वाले तत्वों के उन्मादपुर्ण उत्साह का ही नतीजा है । 2 - दुर्गा प्रतिमा विसर्जन की यात्रा 4 वर्षों से निकाली जा रही है ।
और 4 वर्ष पहले भी बरावफात के मौके पर तनाव हो चुका धा । अतिसंवेदनशील क्षेत्र होने के बावजूद सिर्फ 3 पुलिस और दो होमगार्ड को लगाया गया धा वे भी यात्रा के वक्त संकरे रोड के किनारे बने मस्जिद के पास खड़े नहीं थे । यह स्थिति इस तनाव को पैदा करने की साजिश की तरफ संकेत करती है । हिन्दु और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोगों ने कहा कि यह सवाल पुलिस प्रशासन की घोर लापरवाही का नतीजा है । 3 - घटना की शुरुआत मस्जिद में रंग व गुलाल फेंकने से हुई थी । जिसे पुलिस ने हिंदूवादी कट्टरपंथी तत्वों को सपोर्ट देकर मुस्लिमों की दुकानें व मस्जिद के गुम्बद तोड़ने तक बढ़ाया । और इसके बाद बैरिया गांव के आशीष शुक्ला , सच्चिदानंद , जगदीश जायसवाल व अन्य लोगों के साध मिलकर 80 नामजद व 200 अज्ञात मुसलमानों पर FIR दर्ज करवाई । शिकायतकर्ता के घटना का समय न लिखने के बावजूद पुलिस ने समय 00 : 00 दर्ज किया है और कहीं भी घटना की अवधि का जिक्र नहीं है ।
शिकायतकर्ता के तहरीर में जिन बातों का उल्लेख है उससे LJAPA तो कत्तई नहीं बनता फिर भी पुलिस ने लगाया है । और इसे सही साबित करने के लिए 2 दिन बाद " पाकिरतान के समर्थन में नारा लगाने का वीडियो वायरल कराया गया । शिकायतकर्ता का विरोधी पक्ष के कई गाँवों के 80 मुस्लिमों का नाम लिखाना संदेहजनक है जबकि वह 50 - 60 घायल हिन्दू समुदाय के लोगों का नाम नहीं बता पाता है और जांच टीम को हिन्दू युवा वाहिनी का पदाधिकारी रह चुका सच्चिदानंद 5 हमलावरों के नाम नहीं बता पाता हैं । और छोटी जगह पर 280 लोगों के घात लगाने की बात भी संदेह जनक है । उस रात से पुलिस का मुस्लिम समुदाय पर क्रुर हमला कर देना किसी सोची समझी साजिश की तरफ इशारा करता है
4 - खैराबाजार और चगिया , तारापुर व सैनपारा गांव में पूरी तरह मुस्लिम समुदाय दहशत के साये में है । जिनका FIR में नाम नहीं है वे भी भागे हुए हैं कि कहीं अज्ञात में उनका नाम न जुड़ जाये । 5 - गाँव के जवान , कमाने वाले लोगों के भागने के कारण पीछे से बुजुर्ग औरतें और बच्चे एक तरफ तो सहमे हुए हैं , अपने परिवार के लोगों के लिए चिंतित हैं और दूसरी और रोजाना की जिंदगी में तंग और असह्य हैं । 6 - गांव निर्धनतम लोगों का है जो मजदूरी , राजमिस्त्री , साइकिल का पेंचर बनाने , किरोसिन बेचने , ठेला - खोमचा लगाने का काम करते हैं । ऐसे में कमाने वाले पुरुषों के भागने से उनके रोज़ की थोड़ी सी आमदनी भी ख़तम हो गयी है । 7 - गांव के अंदर मुस्लिम समुदाय के लोगों के घरों में तोड़फोड़ पुलिस ने की है । पूर्व प्रधान रशीद का घर तो पुलिस ने लगभग नष्ट कर दिया है ।
इससे कुछ राजनीतिक कलह की साजिश का भी आशारा होता है । 8 - बिना महिला पुलिस के और रात के अंधेरे में पुलिस का पर्यों में प्रवेश संविधान में दर्ज मौलिक अधिकारों , सर्वोच्च अदालत व मानव अधिकार आयोग के निर्देशों का खुल्लम - खुल्ला उल्लंघन है । 9 गांव में छापे के दौरान घर में बचे लोग से नाम पूछकर पुलिस अभियुक्त बना रही है जो कि FIR में 200 ' अज्ञात व्यक्तिर्यो के शामिल होने के कारण है । 10 - पुलिस महिलाओं वृद्धों व बच्चों को रोज न्य रोज मारने पीटने की धमकी दे रही है । जांच टीम की मांगेः
1 . गलत तरीके से लगाया गया आंतकवाद का कानून JAPA तुरंत हटाया जाए
2 - इस जांच में उठे कई प्रत्यक्ष सवालों को मद्देनज़र रखते हुए इस घटना की संदेहजनक FIR को रद्द किया जाये । उसके आधार पर मुस्लिग समुदाय की धर - पकड़ बन्द की जाये और गिरफ्तार किये गये लोगों को रिहा जाये । UAPA की धारा को लगाने वाले पुलिस अधिकारी पर कार्यवाही की जाये ।
3 - घटना की निष्पक्ष जांच की जाये और हिंसा की शुरुआत करने वाले , मस्जिद में रंग फेंकने पाने वाले , मस्जिद का गुम्वाद तोड़ने वाले , गांव वालों की दुकानों को तोड़ने वालें को भी जांच की कार्यवाही का हिस्सा बनाया जाये
4 - इस मामले की जांच निष्पा कराने हेतु किसी सेवानिवृत जज , मानव अधिकार आयोग , कुछ माTनव अधिकार कार्यकर्ताओं की जांच टीम गठित करके करायी जाये
5 - मस्जिद के टूटे गुम्बद को प्रशासन ठीक कराए और लोगों की दुकानों और घरों की क्षति हेतु मुआवज़ा दिया जाये
6 - क्षेत्र में अमन चैन कायम करने के लिए हिन्दू मुस्लिम समुदाय के लोगों , क्षेत्र के नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं , पत्रकारों , वकील और प्रशासन को मिलाकर साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए सक्रिय कमेटियों का गठन किया जाय
मानव अधिकार की रिपोर्ट