कुतुबुद्दीन ऐबक के बारे में बचपन में एक कहानी पढी थी ये वही हैं जिन्होंने क़ुतुब मीनार बनवाया है
एक बार वो शिकार खेल रहे थे तीर चलाया और जब शिकार के नज़दीक गए तो देखा कि एक किशोर उनके तीर से घायल गिरा पड़ा है
कुतुबुद्दीन उसकी माँ के पास गया बताया कि उसके तीर से गलती से उसके बेटे की मौत हो गयी है माँ रोते-रोते बेहोश हो गयी
फिर कुतुबुद्दीन ने खुद को क़ाज़ी के हवाले किया और अपना ज़ुर्म बताते हुए अपने खिलाफ मुकद्दमा चलाने की अर्ज़ी दी क़ाज़ी ने मुकदमा शुरू किया मृतक की बूढ़ी माँ को अदालत में बुलाया और कहा कि तुम जो सज़ा कहोगी वही सज़ा इस मुज़रिम को दी जायेगी वृद्धा ने कहा कि ऐसा बादशाह फिर कहाँ मिलेगा जो अपनी ही सल्तनत में अपने खिलाफ ही मुकदमा चलवाए और उस गलती के लिए जो उसने जानबूझ कर नहीं की
इस पर कुतुबुद्दीन ने अपनी कमर से खंज़र निकाल कर क़ाज़ी को दिखाते हुए कहा अगर तुमने मुझसे मुज़रिम की तरह व्यवहार न करके ज़रा भी मेरी बादशाहत का ख़याल किया होता तो मैं तुम्हें इसी खंज़र से मौत के घाट उतार देता ये है असल बादशाहत और ये है असल इन्साफ और यही है इस्लाम की तालीम
इस्लाम सिर्फ़ प्यार मोहब्बत भाईचारगी और इंसाफ़ की तालीम देता है
फ़ोटो साभार फेसबुक |
एक बार वो शिकार खेल रहे थे तीर चलाया और जब शिकार के नज़दीक गए तो देखा कि एक किशोर उनके तीर से घायल गिरा पड़ा है
कुछ ही पल में उस घायल किशोर की मौत हो जाती है पता करने पर मालूम हुआ कि वह पास के ही एक गाँव में रहने वाली वृद्धा का एकमात्र सहारा था और जंगल से लकड़ियाँ चुन कर बेचता और जो मिलता उसी से अपना और अपनी माँ का पेट भरता था
कुतुबुद्दीन उसकी माँ के पास गया बताया कि उसके तीर से गलती से उसके बेटे की मौत हो गयी है माँ रोते-रोते बेहोश हो गयी
फिर कुतुबुद्दीन ने खुद को क़ाज़ी के हवाले किया और अपना ज़ुर्म बताते हुए अपने खिलाफ मुकद्दमा चलाने की अर्ज़ी दी क़ाज़ी ने मुकदमा शुरू किया मृतक की बूढ़ी माँ को अदालत में बुलाया और कहा कि तुम जो सज़ा कहोगी वही सज़ा इस मुज़रिम को दी जायेगी वृद्धा ने कहा कि ऐसा बादशाह फिर कहाँ मिलेगा जो अपनी ही सल्तनत में अपने खिलाफ ही मुकदमा चलवाए और उस गलती के लिए जो उसने जानबूझ कर नहीं की
आज से कुतुबुद्दीन ही मेरा बेटा है मैं इसे माफी देती हूँ क़ाज़ी ने कुतुबुद्दीन को बरी किया और कहा अगर तुमने अदालत में ज़रा भी अपनी बादशाहत दिखाई होती तो मैं तुम्हें उस बुढ़िया के हवाले न करके खुद ही सख्त सज़ा देता
इस पर कुतुबुद्दीन ने अपनी कमर से खंज़र निकाल कर क़ाज़ी को दिखाते हुए कहा अगर तुमने मुझसे मुज़रिम की तरह व्यवहार न करके ज़रा भी मेरी बादशाहत का ख़याल किया होता तो मैं तुम्हें इसी खंज़र से मौत के घाट उतार देता ये है असल बादशाहत और ये है असल इन्साफ और यही है इस्लाम की तालीम
इस्लाम सिर्फ़ प्यार मोहब्बत भाईचारगी और इंसाफ़ की तालीम देता है