मोहन मुंतज़िर की वो शायरी जो आशिकों के दिल में काटें की तरह चुभ जाती है
फ़ोटो वीडियो से स्क्रीनशॉट लिया हुआ वीडियो क्रेडिट वक़्त मीडिया |
मोहन मुंतज़िर जो मैं पीछे पड़ा हूँ तो पटलत कर वार कर देती मुझे बदनाम कर देती सार-ए-बाज़ार कर देती
रहा ख़ामोश तो उसने पहल करदी मोहब्बत की अगर इजहार कर देता तो वो इनकार कर देती
मुझे देखेंगी जब पलकें झपकना भूल जाएंगी चुरा लूंगा तेरी नींदे तो सोना भूल जाएंगी
अगर मेकअप ही प्यारा है तो मुझसे प्यार मत करना मोहब्बत होगी जब मुझसे सवारना भूल जाएगी
किसी दिन बेवफ़ा होकर उसे हम छोड़ सकते हैं उसी की एक सहेली से दिल अपना जोड़ सकते हैं
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कभी भी लड़कियां गर तोड़ सकती है हमारा दिल तो हम भी लड़कियों का दिल कभी भी तोड़ सकते हैं
न जब तक मुस्कुराए वो उसे मुस्कान मत देना पलट कर खुद ही देखेगी तुम उस पर ध्यान मत देना
तरस जाओगे जन्नत को अगर मा बाप रोयंगे किसी लड़की की खातिर भूलकर जान मत देना
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