फेसबुक पर एक चुटकुला शेयर किया जा रहा है। शेयर करने वाले मुसलमान हैं। वही मुसलमान जो पुलिस की वर्दी देख कर मूत मारते हैं। वही मुसलमान जो सरकारी नौकरियों में चार प्रतिशत से भी नीचे हैं। वही मुसलमान जो खाड़ी मुल्क कमाने न जाएं तो घर पर बहन बेटियां कुंवारी बैठी रहें।
वही मुसलमान जो देवबंदी बरेलवी अहले हदीस तबलीगी के फित्नों में जूझते रहते हैं। वही मुसलमान जिनको लगता है कि बीजेपी और मोदी उनके सबसे बड़े दुश्मन हैं, कांग्रेस दूध की धुली है। वो आएगी तो देश में सब अच्छा हो जाएगा। वे मुसलमान जो फेसबुक पर भेड़ों की हमशक्ल बन गर्दन लटकाए निकल पड़े हैं।
घमंड छलक कर गिर रहा है इसमें। इन गदहों को लगता है कि एयरटेल को सबक सिखा दिए हैं। जैसे किसी को हरा देने पर छींटाकशी की जाती है वह है इसमें। जैसे किसी को पछाड़ देने पर उस पर निर्मम हंसी हंसते हैं वैसा कुछ है इस चुटकुले में।
तुमसे आयडिया वाला खुदा हाफिज़ कहता है? इतनी तो औकात नहीं हो गई तुम्हारी। अरे भेड़ों। आज तक तो सही से अपने किसी मुसलमान भाई की मॉब लिंचिंग के केस में सज़ा तो दिलवा नहीं पाए, आज तक किसी नेता के घर पर चढ़ कर अपने साथ हुई बदसलूकी पर सवाल तो कर नहीं पाए, आयडिया वाले तुमसे खुदा हाफिज़ करने लग गए।
अरे चमगादड़ों, एयरटेल का सालाना का टर्नओवर 50-60 हजार करोड़ का है। मुनाफा 17-23 हजार करोड़ का है। हजार करोड़ समझते हो न। ये जो सिम तोड़ कर मुस्लिम एकता का परिचय दे रहे हो ये कुछ और नहीं तुम्हारी बुजदिली है। इत्तेहाद है ये? इस्लाम के नाम पर एक कंपनी जिसमें हजारों कामगार मुसलमान हैं, जिसके लाखों फायदेमंद मुसलमान हैं के खिलाफ वीडियो बना कर अपलोड कर रहे हो। अरे शर्म करो बेहुदो। तुम्हारी पेशानियों पर मक्कारी का निशान पड़ गया है, वह अब सबको दिखने लगा है।
तुम्हारे पड़ोस के शहर और सूबे में मुसलमानों को भीड़ मार देती है। तुम वहां कुछ नहीं कर पाते क्योंकि तुम्हारी नस्ल बर्बाद की जा चुकी है। वह असली लड़ाई लड़ने के बजाए नकली लड़ाई को असली समझ कर अपना कर्तव्य पूरा कर रही है। मैंने एक वीडियो देखा।
फेसबुक के किसी इस्लामी पेज पर शेयर था। एक बदबख्त आदमी एयरटेल डीटीएच कनेक्शन काट रहा था। वीडियो शूट करते वक्त उसने पूरे नौ मिनट में नौ सौ बार इसे शेयर कीजिए, दोस्तों को इन्वाइट कीजिए का इस्तेमाल किया है। वही उपदेश राणा और दीपक शर्मा की तरह। उपदेश और दीपक के वीडियोज़ में हिंसा है।
अपशब्द हैं। मार पीट की धमकी है। मुसलमानों के लाइव वीडियोज़ में बस हिंसा और गाली नहीं है बाकि वह सब कुछ है जिससे एक सभ्य और पढ़ा लिखा समाज डर जाता है। इन मुसलमान रूपी भेड़ों के वीडियो और पोस्ट में हिंसा भले न दिखती हो लेकिन धार्मिक सड़ांध की बदबू ज़रूर आती है। वह इस्लाम जो मैंने कहीं पढ़ा नहीं, वह इस्लाम इनकी हरक़तों में दिखता है।
मैं आज उन सभी को अनफ्रेंड कर रहा हूं जिन्होंने इस चुटकुले को शेयर किया है। मैं अपनेपास ऐसे लोगों को नहीं देखता चाहता जिनसे मुझे कुछ बेहतर सीखने के बजाए मेरा मन चौपट हो जाए। मैं जब फेसबुक पर आता हूं तो कुछ बेहतर पढ़ने के लिए आता हूं। मेरी फ्रेंड लिस्ट में हिंदी तथा अंग्रेजी पट्टी के बेहतरीन लोग हैं। शानदार लेखक, पत्रकार, अकादमिशियन, एक्टिविस्ट, मज़हबी, नास्तिक,
फेमिनिस्ट,रिसर्चर,कॉमेडियन, बकचोद सब भरे पड़े हैं। मुझे इन मुसलमानों की ज़रूरत नहीं। हमको माफ करो भैया। हम नहीं झेल पाएंगे। मैं झूठ मूठ का फन्ने खाँ नहीं बनता। जो हो सकता है वही सोचता तथा लिखता हूं। जज़्बात तथा ख़्यालात की खिड़की पर बैठ कर हर आने जाने वाले को कहानियां नहीं सुनाता। करने में यक़ीन रखता हूं। कहने में नहीं।
बाकि प्यार मोहब्बत अपनी जगह हैं। कभी मेल मुलाकात हो गई तो हंस बोल लेंगे। लेकिन ई सब गंदगी हमसे न झेली जाएगी। जान छोड़ दो हमारी। बहुत हुआ ‘अनस भाई वाह।’ हमारी तारीफ करके अपना हाथ मेरे कंधे पर अब न रखने देंगे। दूर से सलाम रहेगा ऐसे लोगों को
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फ़ोटो साभार गूगल |
वही मुसलमान जो देवबंदी बरेलवी अहले हदीस तबलीगी के फित्नों में जूझते रहते हैं। वही मुसलमान जिनको लगता है कि बीजेपी और मोदी उनके सबसे बड़े दुश्मन हैं, कांग्रेस दूध की धुली है। वो आएगी तो देश में सब अच्छा हो जाएगा। वे मुसलमान जो फेसबुक पर भेड़ों की हमशक्ल बन गर्दन लटकाए निकल पड़े हैं।
वह चुटकुला है आज तो चमत्कार हो गया idea कॉल सेंटर से बात करके जैसे ही फोन रखने लगा तो कस्टमर केयर ने बोला खुदा हाफ़िज़ भाईदु वाओं में याद रखना
घमंड छलक कर गिर रहा है इसमें। इन गदहों को लगता है कि एयरटेल को सबक सिखा दिए हैं। जैसे किसी को हरा देने पर छींटाकशी की जाती है वह है इसमें। जैसे किसी को पछाड़ देने पर उस पर निर्मम हंसी हंसते हैं वैसा कुछ है इस चुटकुले में।
तुमसे आयडिया वाला खुदा हाफिज़ कहता है? इतनी तो औकात नहीं हो गई तुम्हारी। अरे भेड़ों। आज तक तो सही से अपने किसी मुसलमान भाई की मॉब लिंचिंग के केस में सज़ा तो दिलवा नहीं पाए, आज तक किसी नेता के घर पर चढ़ कर अपने साथ हुई बदसलूकी पर सवाल तो कर नहीं पाए, आयडिया वाले तुमसे खुदा हाफिज़ करने लग गए।
अरे चमगादड़ों, एयरटेल का सालाना का टर्नओवर 50-60 हजार करोड़ का है। मुनाफा 17-23 हजार करोड़ का है। हजार करोड़ समझते हो न। ये जो सिम तोड़ कर मुस्लिम एकता का परिचय दे रहे हो ये कुछ और नहीं तुम्हारी बुजदिली है। इत्तेहाद है ये? इस्लाम के नाम पर एक कंपनी जिसमें हजारों कामगार मुसलमान हैं, जिसके लाखों फायदेमंद मुसलमान हैं के खिलाफ वीडियो बना कर अपलोड कर रहे हो। अरे शर्म करो बेहुदो। तुम्हारी पेशानियों पर मक्कारी का निशान पड़ गया है, वह अब सबको दिखने लगा है।
तुम्हारे पड़ोस के शहर और सूबे में मुसलमानों को भीड़ मार देती है। तुम वहां कुछ नहीं कर पाते क्योंकि तुम्हारी नस्ल बर्बाद की जा चुकी है। वह असली लड़ाई लड़ने के बजाए नकली लड़ाई को असली समझ कर अपना कर्तव्य पूरा कर रही है। मैंने एक वीडियो देखा।
फेसबुक के किसी इस्लामी पेज पर शेयर था। एक बदबख्त आदमी एयरटेल डीटीएच कनेक्शन काट रहा था। वीडियो शूट करते वक्त उसने पूरे नौ मिनट में नौ सौ बार इसे शेयर कीजिए, दोस्तों को इन्वाइट कीजिए का इस्तेमाल किया है। वही उपदेश राणा और दीपक शर्मा की तरह। उपदेश और दीपक के वीडियोज़ में हिंसा है।
अपशब्द हैं। मार पीट की धमकी है। मुसलमानों के लाइव वीडियोज़ में बस हिंसा और गाली नहीं है बाकि वह सब कुछ है जिससे एक सभ्य और पढ़ा लिखा समाज डर जाता है। इन मुसलमान रूपी भेड़ों के वीडियो और पोस्ट में हिंसा भले न दिखती हो लेकिन धार्मिक सड़ांध की बदबू ज़रूर आती है। वह इस्लाम जो मैंने कहीं पढ़ा नहीं, वह इस्लाम इनकी हरक़तों में दिखता है।
मैं आज उन सभी को अनफ्रेंड कर रहा हूं जिन्होंने इस चुटकुले को शेयर किया है। मैं अपनेपास ऐसे लोगों को नहीं देखता चाहता जिनसे मुझे कुछ बेहतर सीखने के बजाए मेरा मन चौपट हो जाए। मैं जब फेसबुक पर आता हूं तो कुछ बेहतर पढ़ने के लिए आता हूं। मेरी फ्रेंड लिस्ट में हिंदी तथा अंग्रेजी पट्टी के बेहतरीन लोग हैं। शानदार लेखक, पत्रकार, अकादमिशियन, एक्टिविस्ट, मज़हबी, नास्तिक,
फेमिनिस्ट,रिसर्चर,कॉमेडियन, बकचोद सब भरे पड़े हैं। मुझे इन मुसलमानों की ज़रूरत नहीं। हमको माफ करो भैया। हम नहीं झेल पाएंगे। मैं झूठ मूठ का फन्ने खाँ नहीं बनता। जो हो सकता है वही सोचता तथा लिखता हूं। जज़्बात तथा ख़्यालात की खिड़की पर बैठ कर हर आने जाने वाले को कहानियां नहीं सुनाता। करने में यक़ीन रखता हूं। कहने में नहीं।
बाकि प्यार मोहब्बत अपनी जगह हैं। कभी मेल मुलाकात हो गई तो हंस बोल लेंगे। लेकिन ई सब गंदगी हमसे न झेली जाएगी। जान छोड़ दो हमारी। बहुत हुआ ‘अनस भाई वाह।’ हमारी तारीफ करके अपना हाथ मेरे कंधे पर अब न रखने देंगे। दूर से सलाम रहेगा ऐसे लोगों को
लेख स्वतंत्र पत्रकार मोहम्मद अनस की वाल से लिया गया है
फेसबुक पर एक चुटकुला शेयर किया जा रहा है। शेयर करने वाले मुसलमान हैं। वही मुसलमान जो पुलिस की वर्दी देख कर मूत मारते...
Posted by Mohammad Anas on Friday, June 22, 2018