यहां एक तालिबान का कमांडर आया हुआ था यह कहकर 100 से ज्यादा मासूम बच्चे जो हाफिज ए कुरान थे शहीद कर दिए गए
यह है सो कॉल्ड मुहज्जिब दुनिया के ठेकेदार जहां जानवरों की भी कीमत और हुकूक होते हैं जहां अगर कोई औरत अपनी बिल्ली को वक्त पर खाना ना दें उसे कैद रखे तो जेल चली जाती हैं
मगर तुम कोई जानवरों के बच्चे तो नहीं थे ना कि तुम्हारे लिए कोई इस बेगैरत दुनिया के
अपने ही बनाये हुए कानून पर अमल करवाने के लिए आवाज़ उठाये
तुम तो सिर्फ उम्मत ए मुस्लिमा हो मुस्लिम का खून हो जिस के बहने पर कभी कोई कोहराम नही मचता कभी DP चेंज नही होती कभी विश्व फोरम में कोई मसौदा नही बनता
और तुम्हारा जुर्म बस इतना ही तो नही था...
इससे बढ़कर तो तुम उस कलाम ए पाक को अपने सीने में महफूज करके अपने रसूल मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की तालीमात को पढ़ने का जुर्म करके फ़ारिग हुए थे तो तुम पर तो हवाई हमला बनता था
इब्लीस जो इस वक्त पूरी दुनिया में मुस्लिम नस्ल कुशी की बदतरीन तारीख लिख रहा है कोई है जो उस पर बोले
कोई है जो इस जुर्म पर आवाज़ बुलंद करे
आह मगर कौन बोले
कि ज़बानें तालू से चिपक गयी हैं
इस खौफ़ से की इनके डालर रोक लिए जाएंगे इनका कारोबार दलाली बन्द होंजायेगी
क़ौम नवजवान डरा हुआ है कि उनके वीजे ना कैंसल हो जाएं
क़ौम का नवजवान अभी अपनी बाजियों
को मेरा जिस्म मेरी मर्जी का पोस्टर लिख कर दे रहा है,
कहाँ है वह उम्मत जिसे कहा गया है कि तुम एक जिस्म हो ईमानी हक़ से लेकिन हम कौन सा हक़ अदा कर रहे हैं
कहाँ है वह उम्मत जो लहूलूहान तो है मगर मुत्तहिद नही है
यह हमें ऐसे ही मारेंगे हमें आपस मे लड़ाकर मारेंगे एक तन्हा बचेगा फिर उसे मारेंगे
यही तो पालिशी है दनियाँ के नाम निहाद सिक्युलवाद लिब्रलवाद और पूंजीवाद का मकसद
आप हमें फेसबुक और ट्विटर इंस्टाग्राम पर भी फॉलो
कर सकते हो
यह है सो कॉल्ड मुहज्जिब दुनिया के ठेकेदार जहां जानवरों की भी कीमत और हुकूक होते हैं जहां अगर कोई औरत अपनी बिल्ली को वक्त पर खाना ना दें उसे कैद रखे तो जेल चली जाती हैं
मगर तुम कोई जानवरों के बच्चे तो नहीं थे ना कि तुम्हारे लिए कोई इस बेगैरत दुनिया के
अपने ही बनाये हुए कानून पर अमल करवाने के लिए आवाज़ उठाये
तुम तो सिर्फ उम्मत ए मुस्लिमा हो मुस्लिम का खून हो जिस के बहने पर कभी कोई कोहराम नही मचता कभी DP चेंज नही होती कभी विश्व फोरम में कोई मसौदा नही बनता
और तुम्हारा जुर्म बस इतना ही तो नही था...
इससे बढ़कर तो तुम उस कलाम ए पाक को अपने सीने में महफूज करके अपने रसूल मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की तालीमात को पढ़ने का जुर्म करके फ़ारिग हुए थे तो तुम पर तो हवाई हमला बनता था
ना मेरे शेरों तुम तो कामयाब ठहरे मगर बहुत से हैं जो नाकाम है
इब्लीस जो इस वक्त पूरी दुनिया में मुस्लिम नस्ल कुशी की बदतरीन तारीख लिख रहा है कोई है जो उस पर बोले
कोई है जो इस जुर्म पर आवाज़ बुलंद करे
आह मगर कौन बोले
कि ज़बानें तालू से चिपक गयी हैं
इस खौफ़ से की इनके डालर रोक लिए जाएंगे इनका कारोबार दलाली बन्द होंजायेगी
क़ौम नवजवान डरा हुआ है कि उनके वीजे ना कैंसल हो जाएं
क़ौम का नवजवान अभी अपनी बाजियों
को मेरा जिस्म मेरी मर्जी का पोस्टर लिख कर दे रहा है,
कहाँ है वह उम्मत जिसे कहा गया है कि तुम एक जिस्म हो ईमानी हक़ से लेकिन हम कौन सा हक़ अदा कर रहे हैं
कहाँ है वह उम्मत जो लहूलूहान तो है मगर मुत्तहिद नही है
यह हमें ऐसे ही मारेंगे हमें आपस मे लड़ाकर मारेंगे एक तन्हा बचेगा फिर उसे मारेंगे
यही तो पालिशी है दनियाँ के नाम निहाद सिक्युलवाद लिब्रलवाद और पूंजीवाद का मकसद
आप हमें फेसबुक और ट्विटर इंस्टाग्राम पर भी फॉलो
कर सकते हो