मौलवी साहब के इस ब्यान के सोशल मीडिया पर काफी मज़ाक उड़ाया जा रहा है विभिन्न तरह की टिप्पणीयां देखने को मिल रही है. आइये जानते है इस मामले को विस्तार से.
क्या था मामला?
- दरअसल सऊदी मौलवी को किसी ने सवाल पुछा की “इस्लाम मे कौन सा कार्य स्वीकार्य है?” तो मौलवी ने जवाब दिया की “महिलाओं का अपने पति के लिए डांस करना स्वीकार्य है”.
इस बयान के बाद शेख अब्दुल्ला अल मुतलक, जो राज्य के मुस्लिम विद्वान प्राधिकरण के सदस्य थे, ने कहा की “महिलाओं को अपने पति के लिए डांस करने की अनुमति है, हाँ महिलाएं अपने पति के लिए डांस कर सकती हैं, लेकिन सिर्फ इस्लामी फैसलों के अनुरूप आने वाली शर्तों के अंतर्गत महिलाएं डांस कर सकती हैं.”
उन्होंने यह भी कहा की “महिलाएं बस दो ही शर्तों पर डांस कर सकती हैं पहला तो यह है की महिला को नृत्य करते हुए सिर्फ उसका पति ही देख सकता है और दूसरा यह है की महिला को डांस बिना म्यूजिक के करने की अनुमति है क्योंकि इस्लाम मे म्यूजिक हराम है.
मौलवी के इस बयान के बाद सोशल मीडिया यूजर मौलवी का उपहास उड़ाने लगे. सोशल मीडिया यूजर पर लोगों की प्रतिक्रिया था,कुछ यूजर ने मौलवी का साथ दिया लेकिन कई लोगों ने मौलवी का उपहास उड़ाया.
- (यह शेख की नहीं है, यह गलती तो उस व्यक्ति की है जिसने यह प्रश्न मौलवी से पुछा है.)
(यह बयान महिलाओं की भूमिका एक दस के रूप में चित्रित करती है.”)
(बस, धर्म कभी भी महिलाओं पर नियंत्रण नहीं करता है, हम यह सुन-सुन के बीमार हो गये हैं)
(अल्लाह महिलाओं की रक्षा करें, क्योंकि तुम ऐसा कह रहे हो)
(शेख ,धर्म के लिए यह जरुरी नहीं है)
(महिलाओं को एसी की आवाज मे डांस करना चाहिए, क्योंकि म्यूजिक तो इस्लाम मे हराम है)
“क्या किसी महिला को अपने पति के साथ देर तक रहने की इजाजत है, या क्या उसे जल्दी बिस्तर पर जाना चाहिए?”
“कृपया हमें इस पर एक धार्मिक आश्वासन दें: क्या पति को अपनी पत्नी के लिए भी नृत्य करना चाहिए?”
“ओह, हम इस बारे में नहीं जानते थे, अच्छा हुआ की आपने बता दिया इस बारे मे “
“हे लड़कियों, चलो इस्लामिक परिस्थितियों के अनुसार अपने पति के सामने नृत्य करें” लेख साभार वौइस् हिंदी