Categoryfakharpur यहां सदियां गुजर गयी वतन से गुप्तगु की फिर भी न जाने क्यों By: Furkan S Khan शनिवार, मार्च 21, 2020 0 यहां सदियां गुजर गयी वतन से गुप्तगु की फिर भी न जाने क्यों अभी कल की ही आहट महसूस होती है Furkan S Khan, Fakharpur यहां सब के सब गैर-ए-वतन हैं कोई अपना नहीं है फिरभी न जाने क्यों इनमें अपनो की आहट महसूस होती है Furkan S Khan, Fakharpur Copy this URLCopy