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यहां सदियां गुजर गयी वतन से गुप्तगु की फिर भी न जाने क्यों

यहां सदियां गुजर गयी वतन से गुप्तगु की फिर भी न जाने क्यों अभी कल की ही आहट महसूस होती है

Furkan S Khan, Fakharpur


यहां सब के सब गैर-ए-वतन हैं कोई अपना नहीं है फिरभी न जाने क्यों इनमें अपनो की आहट महसूस होती है



Furkan S Khan, Fakharpur

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Furkan S Khan

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