अखंड भारत
मैंने लिखा है कृपया ज़रूर पढ़ें।
में बस से लखनऊ जा रहा था, बस खचाखच भरी हुई थी, एक बुज़ुर्ग व्यक्ति जिनके साथ एक लड़की थी कंपकंपाती हुई लेकिन तेज़ आवाज़ मे बोले "मेरे भाईयो मेरी मदद करो, मे भिखारी नहीं हूँ मुझे इस लड़की की शादी करनी है यह मेरे दोस्त जोज़फ की बेटी है मरते वक़्त वो इसे मेरे हवाले कर गया था मेरी मदद करो"
बस में से एक नौजवान खड़ा हुआ और बोला "बाबा आपको माँगने की ज़रूरत नही है मे इस लड़की से शादी करूंगा, लेकिन मे मुसलमान हूँ और इसे मुझसे निकाह करना होगा"
बाबा ने कहा "बेटा मे किसी भी धर्म मे भेदभाव नही करता, मे ख़ुद हिंदू हूँ लेकिन मैंने इस लड़की के पालन पौषण मे कोई कमी नहीं की, लेकिन निकाह पढ़ाएगा कौन..?"
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मौलाना साहब ने निकाह पढ़ाना शुरू किया तो पिछली सीट से एक सरदारजी खड़े हुए और बोले "बादशाओ तुसी छा गए, मे यह लड्डू अपने घरवालो के लिए लेकर जा रहा था, लेकिन इस नेक काम मे यह सिख भी हिस्सा लेगा, लो जी सब मेरी तरफ से मुँह मीठा करो"
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बस मे मौजूद लोगों की आँखो मे आँसू आ गए सबने सरदारजी के दिए हुए लड्ड् बड़े चाव से खाए, और एक-एक करके सब बेहोश हो गए और वो पाँचो हमारे सारे पैसे,ज़ेवर और सामान लेकर रफु-चक्कर हो गए :')
मैंने लिखा है कृपया ज़रूर पढ़ें।
में बस से लखनऊ जा रहा था, बस खचाखच भरी हुई थी, एक बुज़ुर्ग व्यक्ति जिनके साथ एक लड़की थी कंपकंपाती हुई लेकिन तेज़ आवाज़ मे बोले "मेरे भाईयो मेरी मदद करो, मे भिखारी नहीं हूँ मुझे इस लड़की की शादी करनी है यह मेरे दोस्त जोज़फ की बेटी है मरते वक़्त वो इसे मेरे हवाले कर गया था मेरी मदद करो"
बस में से एक नौजवान खड़ा हुआ और बोला "बाबा आपको माँगने की ज़रूरत नही है मे इस लड़की से शादी करूंगा, लेकिन मे मुसलमान हूँ और इसे मुझसे निकाह करना होगा"
बाबा ने कहा "बेटा मे किसी भी धर्म मे भेदभाव नही करता, मे ख़ुद हिंदू हूँ लेकिन मैंने इस लड़की के पालन पौषण मे कोई कमी नहीं की, लेकिन निकाह पढ़ाएगा कौन..?"
बस मे सवार एक मौलाना साहब खड़े हुए और बोले "बाबाजी मुझे गर्व है आप पर कि आपने हिंदू होते हुए भी एक ईसाई लड़की को पाला, मे इनका निकाह कराने के लिए तय्यार हूँ"
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मौलाना साहब ने निकाह पढ़ाना शुरू किया तो पिछली सीट से एक सरदारजी खड़े हुए और बोले "बादशाओ तुसी छा गए, मे यह लड्डू अपने घरवालो के लिए लेकर जा रहा था, लेकिन इस नेक काम मे यह सिख भी हिस्सा लेगा, लो जी सब मेरी तरफ से मुँह मीठा करो"
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बस मे मौजूद लोगों की आँखो मे आँसू आ गए सबने सरदारजी के दिए हुए लड्ड् बड़े चाव से खाए, और एक-एक करके सब बेहोश हो गए और वो पाँचो हमारे सारे पैसे,ज़ेवर और सामान लेकर रफु-चक्कर हो गए :')